रिच डैड पुअर डैड भाग -2 |
जैसे कि आप सभी रिच डैड पुअर डैड भाग - 1 में पढ़े थे कि मात्र स्कूल जाने और अच्छे नंबर लेन वाली मानसिकता से हमारी ज़िंदगी किस तरह बर्बाद हो रही है और सफलता प्राप्त करने हमें मानसिकता से किस तरह बहार निकलना चाहिए। आज हम रिच डैड पुअर डैड के भाग - २(Rich Dad Poor Dad) में चूहा दौड़ के बारे में पढ़ेंगे तथा जानेंगे हम अपनी पुराणी मानसिकता से कैसे बाहर आ सकते हैं और कैसे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस में हमें धन(Money) के महत्व को समझेंगे कि किस तरह यह काम करता है ,तो चाहिए जानते हैं -
चूहा दौड़ क्या है ?Rate Race kya hai ? |
रिच डैड पुअर डैड(Rich Dad Poor Dad)में चूहा दौड़ (RAT RACE MEANING)को एक खेल बताया गया है। यह एक ऐसा खेल है जो एक मोनोपॉली(MONOPOLY DEAL) की तरह है अथार्थ एक ऐसा खेल जिसमें दो रस्ते हैं एक अंदर बहार का। इस खेल लक्ष्य होता है अंदर वाले रास्ते से बाहर निकलना और बाहरी रास्ते पर पहुंचना या तेज़ रास्ते पर जाना। इस Rich Dad Poor Dad के मुताबिक तेज़ रास्ता हमें ये बताता है कि असल ज़िंदगी में अमीर(Rich) लोग किस तरह पैसों का खेल खेलते हैं।
"अगर आप किसी भी औसत रूप से शिक्षित ,कड़ी मेहनत करने वाले आदमी की ज़िंदगी को देखें ,तो उसमे आपको एक सा ही सफर दिखेगा। बच्चा पैदा होता है ,स्कूल जाता है ,माता पिता खुश हो जाते हैं ,क्यूंकि स्कूल में बच्चों को स्कूल में अच्छे नंबर मिलते हैं और उसका दाखिला कॉलेज में हो जाता है बच्चा स्नातक हो जाता है और फिर योजना के अनुसार काम करता है। वह किसी आसान ,सुरक्षित नौकरी की तलाश करता है। बच्चे को ऐसा ही जाता है। शायद वह डॉक्टर या वकील बन जाता है या सेना में भर्ती हो जाता है या फिर वह सरकारी नौकरी करने लगता है। बच्चा पैसा कमाने लगता है ,उसके पास थोक में क्रेडिट कार्ड आने लगते हैं और अगर अब तक उसने खरीदारी करना शुरू नहीं किया तो वह जमकर खरीदारी करने लगता है।
"खर्च करने के लिए पैसे पास में होते हैं तो वह उन जगहों पर जाता है जहाँ उसकी उम्र के ज्यादातर नौजवान जाते हैं -लोगों से मिलते हैं, डेटिंग करते हैं और कभी कभार शादी क्र लेते हैं। अब ज़िंदगी में मजा आ जाता है ,क्यूंकि आज कल पुरुष और महिलायें दोनों काम करते हैं। दो तनख्वाहें बहुत सुखद लगती है।
पति पत्नी दोनों को लगता है कि उनकी ज़िंदगी सफल हो गयी। उन्हें अपना भविष्य सुनहरा। अब वे कार, स्कूटर,टेलीविज़न ,खरीदते हैं ,छुटियाँ मानाने कहीं जाने लगते हैं। फिर उनके बच्चे हो जातें हैं ,बच्चों के साथ उनके खर्च बढ़ जाते हैं ,फिर वे और मेहनत करने लगते हैं ताकि उनके तनख्वाह बढ़ जाये। लेकिन तनख्वाह बढ़ने पर फिर उनको एक और बच्चा हो जाता है। तब उनको अब एक बड़े घर की जरूरत महसूस होती है। वे अब घर भी ले लेते हैं। इसके साथ ही अब वे अपने बच्चों और अपने भविष्य के लिए प्लानिंग करते हैं।
कुछ म्यूच्यूअल फण्ड(Mutual Fund) खरीद लेते हैं ,उधर दूसरी तरफ उनको अपनी इनकम पर टैक्स भी देना पड़ता है ,फिर क्रेडिट कार्ड की किस्ते भी देनी पड़ती है। इसके साथ साथ उनकी टेंशन बढ़ने लगती है वे अपने रिटायरमेंट के लिए पैसा बचने के लिए चिंता सताने लगती है इसके लिए वे कई बार अपनी नौकरी बदलते हैं ,मतलब जाते जाते बाद में उनके पास कुछ नहीं बचता है।
"३५ साल पहले पैदा हुए यह खुशहाल दम्पति अब अपने नौकरी(Naukari) के बाकि दिन चूहा दौड़ में फसकर बिताते हैं। वे अपने कंपनी के मालिकों के लिए काम करते हैं ,सरकार को टैक्स(Tax) चुकाने के लिए काम करते हैं ,और बैंक(Bank) में अपनी गिरवी रखी सम्पति(Asset) और क्रेडिट कार्ड(Credit Card) के क़र्ज़ चुकाने के लिए काम करते हैं। हम में से ज्यादातर लोगों की ज़िंदगी भी इसी तरह है।
चाहे आज कोई 20 साल का हो या 50 साल का। आज हम सभी इस खेल में फंसें हुए हैं। हम अपने मालिकों के लिए काम करते हैं ,सरकार को टैक्स चूकते हैं और बैंक में अपनी गिरवी संम्पति तथा क्रेडिट कार्ड(Credit Card) के कर्ज को चुकाने के लिए काम करते हैं। जब हमारे साथ इतना कुछ हो रहा है तब हम लोग फिर भी अपने बच्चों को यही सलाह कैसे दे सकते हैं। हमारे तरह हमारे बच्चे भी फिर स्ट्रगल करते रहेंगे और सारी ज़िंदगी मेहनत करते रहेंगे। यह प्रक्रिया चलती है और चलती रहेगी।रिच डैड पुअर डैड(Rich Dad Poor Dad) के अनुसार इसी को चूहा दौड़ कहते हैं।
इस दौड़ से कैसे बाहर निकलें ? |
रिच डैड पुअर डैड(Rich Dad Poor Dad) के हिसाब से इस दौड़ से बाहर निकलना बहुत जरूरी है और इस दौड़ से बाहर निकलने के लिए आपको धन का महत्व समझना बहुत जरूरी है ,इसके साथ ही अकाउंट और निवेश (Account and Investment)के बारे में जानना होगा। इसको सिखने की जरूरत है।
क्यूंकि अगर हम यह सीख जाते हैं तो हमें इनकम स्टेटमेंट और इन्वेस्टमेंट को सिखने में कोई परेशानी नहीं होगी। चाहे आप कोई बैंकर हो ,कंप्यूटर प्रोग्रामर हो ,या कुछ भी। इन बातों को जानना और सीखना जरूरी है।
एकाउंट्स ,बैलेंस शीट एंड इन्वेस्टमेंट (Accounts ,Balancesheet and Investment)में आपसी संम्बंध होता है। इसी की माध्यम से आप अपना बाजार को फैला पाएंगे तथा आपको पैसे की सही समझ आएगी।
Rich Dad Poor Dad के हिसाब से जब हम संम्पति खरीदते और बेचते हैं ,तब हमें ध्यान ही नहीं रहता कि हर सौदे से उनकी आमदनी पर असर पड़ रहा है। असल ज़िंदगी में हम जैसे ऐसे करोड़ो लोग है जो सिर्फ इसलिए परेशान है क्यूंकि उन्हें इन दो विषयों के बारे में नहीं पता। हम अपने आस -पास देखते हैं कि कोई भी अपनी ज़िंदगी में खुश नहीं। चाहे कोई 10000Rs कमाता हो या फिर 100000Rs, इसका कारण यही विषय है।
हम गौर कर सकते हैं कि ऐसे बहुत सारे लोग अकॉउंटेंट ,बैंकर्स ,एडवोकेट ,स्टॉक ब्रोकर्स एंड रियल स्टेट ब्रोकर्स का भी यही हाल है। ये लोग बहुत कुछ जानते हैं और स्मार्ट होते हैं परन्तु फिर भी आमिर नहीं होते। क्यूंकि हमारे स्कूल हमें वह सब नहीं सिखाते जो आमीर लोग जानते हैं। इसलिए यह जानना और सीखना बहुत जरूरी है कि ये असल ज़िंदगी में किस तरह काम में लाया जाये। अगर हम इन दोनों विषयों को सीख जाते हैं तो इससे हमें पैसों की सही समझ मिलेगी। इसलिए इन्हें सीखना जरूरी है।
अंत आज के लिए यही पर रिच डैड पुअर डैड(Rich Dad Poor Dad)को ख़त्म करता हूँ। उम्मीद है कि आप सभी को यह बातें पसंद आएगी।
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