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Showing posts from February, 2020

रिच डैड पुअर डैड भाग -2 चूहा दौड़ क्या है ? Rich Dad poor Dad Bhag -2 Chuha Daud kya hai?

                         रिच डैड पुअर डैड भाग -2  जैसे कि आप सभी रिच डैड पुअर डैड भाग - 1 में पढ़े थे कि मात्र स्कूल जाने और अच्छे नंबर लेन वाली मानसिकता से हमारी ज़िंदगी किस तरह बर्बाद हो रही है और सफलता प्राप्त करने  हमें  मानसिकता से किस तरह बहार निकलना चाहिए। आज हम रिच डैड पुअर डैड के भाग - २(Rich Dad Poor Dad)  में चूहा दौड़ के बारे में पढ़ेंगे तथा  जानेंगे हम अपनी पुराणी मानसिकता से कैसे बाहर आ सकते हैं और कैसे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस में हमें धन(Money) के महत्व को समझेंगे कि किस तरह यह काम करता है ,तो चाहिए जानते हैं -                     चूहा दौड़ क्या है ?Rate Race kya hai ? रिच डैड पुअर डैड( Rich Dad Poor Dad) में चूहा दौड़ ( RAT RACE MEANING )को एक खेल बताया गया है। यह एक ऐसा खेल है जो एक मोनोपॉली( MONOPOLY DEAL ) की तरह है अथार्थ एक ऐसा खेल जिसमें दो रस्ते हैं एक अंदर  बहार का।  इस खेल  लक्ष्य होता है अंदर वाले रास्ते से बाहर निकलना और बाहरी रास्ते पर पहुंचना या तेज़ रास्ते पर जाना। इस  Rich Dad Poor Dad  के मुताबिक तेज़ रास्ता हमें ये बताता है कि असल ज़िंद

रिच डैड पुअर डैड भाग -1 Rich Dad Poor Dad Bhaag-1

रिच डैड पुअर डैड - भाग -1                                                           वैसे तो आप सभी ने रिच डैड पुअर डैड किताब पढ़ी होगी या फिर इस किताब से जुडी कई वीडियो भी देखें होंगे। लेकिन फिर भी आज मै सब के लिए लेकर आया हूँ कुछ मत्वपूर्ण जानकारियां। इस किताब के मुताबिक हमारे असल ज़िंदगी में हम सभी का एक लक्ष्य होता है ,हम सभी उन  पाने के लिए हर तरह से प्रयास करते हैं ,लेकिन फिर हम असफल हो जाते हैं। इस के पीछे क्या कारन है ?आईये जानते हैं  रिच डैड पुअर डैड  के अनुसार - चाहे आज का समय हो या कल का हर समय में हमारे अध्यापक ,माता पिता सभी  हैं कि अगर तुम म्हणत करोगे और अच्छे नंबर लाओगे तो तुम्हे अच्छी नौकरी मिलेगी ,इसी को हम सब सफलता मान  लेते हैं ,जबकि वास्तव में सच तो यह है कि जैसा हम  वैसा होता ही नहीं।  रिच डैड पुअर डैड के अनुसार  इसके पीछे कारण यह है कि बचपन से हम ऐसी सोसाइटी में रहते आएं हैं वहां  से हमारे स्कूल और कॉलेज तक सभी ने हमारी मानसिकता ऐसी बना दी होती है जिसके कारन हम सिर्फ सरकारी नौकरी के अलावा और कुछ चाहते ही नहीं हैं ,जिसकी वजह से हम पीछे रह जाते हैं।