सफलता पाने का 8 मूलमंत्र
"किसी के पैरों में गिरकर कामयाबी पाने के बदले अपने पैरों पर चलकर कुछ बनने की ठान लो "।
नमस्कार ! आप सभी का स्वागत है।
आज के युग में सभी को मान -सम्मान ,धन-दौलत सब कुछ चाहिए। सभी कामयाबी पाने के लिए छोटे से छोटा रास्ता तलाशने के प्रयास में लगे रहते है। सफलता सभी चाहते है।परन्तु पूरी कोशिश तथा अथक प्रयासों के बावजूद बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हे जीवन में असफलता और हार का मुंह देखना पड़ता है ।इसमें बुरा लगने वाली कोई बात नहीं क्यूंकि यह मानवीय प्रकृति है। ऐसे लोग यही सोचते हैं कि सफलता उनके भाग्य में ही नहीं है। लेकिन व्यक्ति को कभी भी हार से घबराना नहीं चाहिए।क्यूंकि हर व्यक्ति के जीवन का फलसफा अलग होता है।किसी के लिए सफलता का मतलब बहुत नाम व पैसा कमाना होता है तो कोई अपने काम में खुशी ढूंढकर सफलता का अहसास करता है। इसलिए सफलता हासिल करने के लिए आप सबसे पहले दूसरों की बातों को सुनना बंद करें और खुद से यह सवाल करें कि आप अपने जीवन से क्या चाहते हैं। जब आपको जवाब मिल जाए तो उसे पूरा करने में जुट जाएं। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करो और सभी दूसरे विचार को अपने दिमाग से निकाल दो। यही सफलता की पूंजी है। डेल कार्नेगी ने भी कहा था कि असफलता से सफलता का सृजन कीजिए। निराशा और असफलता, सफलता के दो निश्चित आधार स्तंभ हैं। बस जरूरत है तो खुद में कुछ बदलाव करने की। तो चलिए आज हम आपको ऐसी कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें छोड़ने के बाद जीवन में सफलता बेहद आसानी से पाई जा सकती हैं। जब हम सफल लोगो की सफलता के बारे में पड़ते है और सुनते है तब बहुत उत्साहित होते है। लेकिन उन्हें सफलता मिली कैसे ,किन-किन कठनाईयो का सामना करना पड़ा आदि के बारे काम जानते है। आईये जानते है उनकी आदतों के बारे में ,उनके दवारा पालन किये जाने वाले सिद्धांतों के बारे में जिसे अपना कर हम भी कामयाब हो सकते है -
१. आलस्य तथा बहानेबाज़ी से पीछा छुड़ाना :-
एक सर्वे से है कि 95 % लोग आलस्य तथा बहानेबाज होते है ,वे हर एक काम को दूसरे दिन पर ताल देते है। उनके पास अपनी नाकामयाबी के कई बहाने होते है ,वे हर काम को देरी से करते है। जबकि सफल लोगो को ये पता होता है कि अगर सफलता प्राप्त करनी है तो बहानेबाज़ी और आलस्य को छोड़नी पड़ेगी।
२. काम और आराम :-
यह बहुत ही अमूल्ये सिद्धांत है। आज के युग में सबसे पहले काम उसके बाद आराम और फिर से काम का ये चक्र हमेशा काम आता है। इसी सिद्धांत का पालन करके बिल गेट्स,वारेन बुफे ,जेफ्फ बेजोज , मुकेश अम्बानी तथा जैक माँ आदि सभी शिखर पर पहुंच गए है। इस सब सफल लोगो के लिए काम ही उनकी पूजा होती है। जबकि नाकामयाब लोग इस सिद्धांत का पालन नहीं करते है,ये लोह आराम के इतने आदि हो जाते है कि उन्हें काम वाला और सफलता का महत्वपूर्ण हिस्सा दिखाए देना बंद हो जाता है। अन्तः अगर सफलता प्राप्त करनी है तो पहले काम फिर आराम के इस सिद्धांत का पालन करना होगा।
3.लक्ष्य निर्धारित करना :-
तीसरा सबसे मत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि सफलता पाने के लिए लक्ष्य होना बहुत जरुरी है। बिना लक्ष्य के हम सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकते। जैसे अर्जुन का लक्ष्य विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुधर बनना था ,वैसे ही हमारा अभी अपना लक्ष्य होना चाहिए। जैसे कि बिल गेट का सपना था सबसे जमीर आदमी बनना ,जैक माँ का सपना था एक उधमी बनना ,वैसे ही हमे भी अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए क्यूंकि बिना लक्ष्य निर्धारित किये हम सफल नहीं हो सकते।
4.अवसर :-
उसके बाद अब बारी आती है अवसरों की। बचपन से लेकर बड़े होने तक ,स्कूल से लेकर कॉलेज तक हमे बहुत सरे अवसर मिलते है लेकिन हम उन अवसरों का सही फ़ायदा नहीं उठा पते ,जो एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है हमारे देश के लिए ,हम नौजवानो के लिए। यही एक कारन ही जिसकी वजह से हम बेरोज़गार हो गए है। जैसे कि "एक बार बिल गेट्स सर से एक बार एक पत्रकार ने उनकी सफलता के बारे में पूछा तब उन्होंने बताये कि वे कभी भी किसी अवसर को खोते नहीं है। चाहे कोई भी अवसर क्यों न हो,परिणाम कुछ भी क्यों न निकले वे अवसर से नहीं चूकते। " इसी लिए अगर हमे भी सफलता प्राप्त करनी है तो इस सिद्धांत का पालन करना ही पड़ेगा।
१. आलस्य तथा बहानेबाज़ी से पीछा छुड़ाना :-
एक सर्वे से है कि 95 % लोग आलस्य तथा बहानेबाज होते है ,वे हर एक काम को दूसरे दिन पर ताल देते है। उनके पास अपनी नाकामयाबी के कई बहाने होते है ,वे हर काम को देरी से करते है। जबकि सफल लोगो को ये पता होता है कि अगर सफलता प्राप्त करनी है तो बहानेबाज़ी और आलस्य को छोड़नी पड़ेगी।
२. काम और आराम :-
यह बहुत ही अमूल्ये सिद्धांत है। आज के युग में सबसे पहले काम उसके बाद आराम और फिर से काम का ये चक्र हमेशा काम आता है। इसी सिद्धांत का पालन करके बिल गेट्स,वारेन बुफे ,जेफ्फ बेजोज , मुकेश अम्बानी तथा जैक माँ आदि सभी शिखर पर पहुंच गए है। इस सब सफल लोगो के लिए काम ही उनकी पूजा होती है। जबकि नाकामयाब लोग इस सिद्धांत का पालन नहीं करते है,ये लोह आराम के इतने आदि हो जाते है कि उन्हें काम वाला और सफलता का महत्वपूर्ण हिस्सा दिखाए देना बंद हो जाता है। अन्तः अगर सफलता प्राप्त करनी है तो पहले काम फिर आराम के इस सिद्धांत का पालन करना होगा।
3.लक्ष्य निर्धारित करना :-
तीसरा सबसे मत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि सफलता पाने के लिए लक्ष्य होना बहुत जरुरी है। बिना लक्ष्य के हम सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकते। जैसे अर्जुन का लक्ष्य विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुधर बनना था ,वैसे ही हमारा अभी अपना लक्ष्य होना चाहिए। जैसे कि बिल गेट का सपना था सबसे जमीर आदमी बनना ,जैक माँ का सपना था एक उधमी बनना ,वैसे ही हमे भी अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए क्यूंकि बिना लक्ष्य निर्धारित किये हम सफल नहीं हो सकते।
4.अवसर :-
उसके बाद अब बारी आती है अवसरों की। बचपन से लेकर बड़े होने तक ,स्कूल से लेकर कॉलेज तक हमे बहुत सरे अवसर मिलते है लेकिन हम उन अवसरों का सही फ़ायदा नहीं उठा पते ,जो एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है हमारे देश के लिए ,हम नौजवानो के लिए। यही एक कारन ही जिसकी वजह से हम बेरोज़गार हो गए है। जैसे कि "एक बार बिल गेट्स सर से एक बार एक पत्रकार ने उनकी सफलता के बारे में पूछा तब उन्होंने बताये कि वे कभी भी किसी अवसर को खोते नहीं है। चाहे कोई भी अवसर क्यों न हो,परिणाम कुछ भी क्यों न निकले वे अवसर से नहीं चूकते। " इसी लिए अगर हमे भी सफलता प्राप्त करनी है तो इस सिद्धांत का पालन करना ही पड़ेगा।
6.सीखें निर्णय लेना
जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ता है, जो अपने जीवन में कुछ कठोर निर्णय लेता है। कुछ लोगों के निर्णय उन्हें नई ऊंचाइयों तक ले जाते हैं तो कभी−कभी गलत निर्णय के कारण आपको सबकुछ शुरू से शुरू करना पड़ता है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि हार के डर से व्यक्ति निर्णय लेना ही छोड़ दें। असमंजस की स्थिति में व्यक्ति किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता और कुछ अच्छे अवसर उसके हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए बाद में पछताने से अच्छा है कि आप खुद पर भरोसा करें और हिम्मत करके कुछ जटिल निर्णय लेना भी सीखें।
6.सीखना और किताबे पढ़ना :-
एक सर्वे से पता चला है कि आज जितने भी सफल लोग है उन सब में एक सामान्य आदते थी। चाहे वारेन बुफे सर,बिल गेट्स सर,जेफ्फ बेजोज आदि सब में एक सामान्य बात थी वो थी हमेशा पड़ते रहना था तथा सीखते रहना। जैसे कि वारेन बुफे सर अख़बार हमेशा पढ़ते है और उस अखबार से मिली जानकारी को अपने व्यापार में प्रयोग करते है। उन्ही की तरह अगर हमे भी सफलता प्राप्त करनी है तो इस सिद्धांत का पालन करना पड़ेगा. ,क्यूंकि पढ़ने -लिखने की कोई उम्र नहीं होती ,वैसे ही सिखने की भी कोई उम्र नहीं होती। अन्तः हमे हमेशा सिखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यह एक विश्वव्यापी सत्य है कि जीवन में कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। हर किसी में कुछ न कुछ कमियां अवश्य होती हैं। लेकिन अगर व्यक्ति न सिर्फ उन कमियों को पहचानें, बल्कि उन्हें स्वीकार करके अपनी कमियों को ही अपनी खूबी बना लेता है तो कोई भी उन्हें सफल होने से नहीं रोक सकता। वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो भूतकाल में हुई अपनी गलतियों का रोना रोते रहते हैं और खुद पर विश्वास करना ही छोड़ देते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी भी सफलता का स्वाद नहीं चख पाते। मेल्कम फोर्ब्स के शब्दों में, असफलता सफलता है, यदि हम उससे सीख लें तो।
8.ऊपर दिए गए बातो का पालन करना
किसी भी मानवीय प्रयास की सफलता के लिए मूलमंत्रों का विशेष महत्व होता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है -मूलमंत्र आपकी सफलता रूपी ईमारत की नींव होते है यदि आप मजबूत ईमारत का निर्माण करना चाहते है तो इसके लिए सवपर्थम आपको मजबूत नींव रखनी होगी। खेल का क्षेत्र हो... संगीत का या फिर वव्यापार। ..कामयाबी चाहिए तो कुछ बुनियादी तथा ऊपर दिए गए उसूलो का पालन करना ही होगा। यदि आप ऊपर दिए गए सिद्धांतो का उलंघन करते है तो या तो आप कामयाब नहीं होंगे ,और अगर हो भी जाते है तो वह दिन दूर नहीं जब आपकी कामयाबी की इमारत आपकी आखों के सामने ढह जाएगी।
"कहते है कि चोटी की सफलता पानी है तो सफलता के मूल सिधान्तो से आप मुँह नहीं मोड़ सकते। "
इसकी के साथ आज मै अपनी बात यही पर ख़त्म करता हूँ।
*********धन्यवाद **************
जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ता है, जो अपने जीवन में कुछ कठोर निर्णय लेता है। कुछ लोगों के निर्णय उन्हें नई ऊंचाइयों तक ले जाते हैं तो कभी−कभी गलत निर्णय के कारण आपको सबकुछ शुरू से शुरू करना पड़ता है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि हार के डर से व्यक्ति निर्णय लेना ही छोड़ दें। असमंजस की स्थिति में व्यक्ति किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता और कुछ अच्छे अवसर उसके हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए बाद में पछताने से अच्छा है कि आप खुद पर भरोसा करें और हिम्मत करके कुछ जटिल निर्णय लेना भी सीखें।
6.सीखना और किताबे पढ़ना :-
एक सर्वे से पता चला है कि आज जितने भी सफल लोग है उन सब में एक सामान्य आदते थी। चाहे वारेन बुफे सर,बिल गेट्स सर,जेफ्फ बेजोज आदि सब में एक सामान्य बात थी वो थी हमेशा पड़ते रहना था तथा सीखते रहना। जैसे कि वारेन बुफे सर अख़बार हमेशा पढ़ते है और उस अखबार से मिली जानकारी को अपने व्यापार में प्रयोग करते है। उन्ही की तरह अगर हमे भी सफलता प्राप्त करनी है तो इस सिद्धांत का पालन करना पड़ेगा. ,क्यूंकि पढ़ने -लिखने की कोई उम्र नहीं होती ,वैसे ही सिखने की भी कोई उम्र नहीं होती। अन्तः हमे हमेशा सिखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यह एक विश्वव्यापी सत्य है कि जीवन में कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। हर किसी में कुछ न कुछ कमियां अवश्य होती हैं। लेकिन अगर व्यक्ति न सिर्फ उन कमियों को पहचानें, बल्कि उन्हें स्वीकार करके अपनी कमियों को ही अपनी खूबी बना लेता है तो कोई भी उन्हें सफल होने से नहीं रोक सकता। वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो भूतकाल में हुई अपनी गलतियों का रोना रोते रहते हैं और खुद पर विश्वास करना ही छोड़ देते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी भी सफलता का स्वाद नहीं चख पाते। मेल्कम फोर्ब्स के शब्दों में, असफलता सफलता है, यदि हम उससे सीख लें तो।
8.ऊपर दिए गए बातो का पालन करना
किसी भी मानवीय प्रयास की सफलता के लिए मूलमंत्रों का विशेष महत्व होता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है -मूलमंत्र आपकी सफलता रूपी ईमारत की नींव होते है यदि आप मजबूत ईमारत का निर्माण करना चाहते है तो इसके लिए सवपर्थम आपको मजबूत नींव रखनी होगी। खेल का क्षेत्र हो... संगीत का या फिर वव्यापार। ..कामयाबी चाहिए तो कुछ बुनियादी तथा ऊपर दिए गए उसूलो का पालन करना ही होगा। यदि आप ऊपर दिए गए सिद्धांतो का उलंघन करते है तो या तो आप कामयाब नहीं होंगे ,और अगर हो भी जाते है तो वह दिन दूर नहीं जब आपकी कामयाबी की इमारत आपकी आखों के सामने ढह जाएगी।
"कहते है कि चोटी की सफलता पानी है तो सफलता के मूल सिधान्तो से आप मुँह नहीं मोड़ सकते। "
इसकी के साथ आज मै अपनी बात यही पर ख़त्म करता हूँ।
*********धन्यवाद **************
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